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उत्तर प्रदेश के 35 जनपदों के किसानों को राहत, मिलेगा फसल नुकसान का मुआवजा

उत्तर प्रदेश के 35 जनपदों के किसानों को राहत, मिलेगा फसल नुकसान का मुआवजा

पिछले दिनों हुई बारिश से उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में फसलें बुरी तरह बर्बाद हो गई। एक रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश में 2 लाख 35 हजार किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है जिसके चलते राज्य सरकार ने फैसला किया है कि, इन किसानों की फसलों का नुकसान वह मुआवजे के रूप में अदा करेगी। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने बारिश से बर्बाद हुई फसलों का आकलन किया जिसके बाद किसानों को लगभग 78 करोड़ 88 लाख रुपए मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। बता दें, इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को उच्च स्तर पर बैठक की। इसी दौरान बैठक में शामिल हुए अपर मुख्य सचिव राजस्व मनोज कुमार सिंह के मुताबिक, 35 जिलों में 2,35,122 ऐसे किसान पाए गए जिनकी फसल बारिश के चलते बर्बाद हो गई। कहा जा रहा है कि, जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है उन किसानों को करीब 78 करोड़ 88 लाख रुपए धनराशि दी जाएगी। बता दें, 17, 18 से 19 अक्टूबर के दौरान हुई भारी बारिश के चलते किसानों की फसले बुरी तरह बर्बाद हुई है। ये भी पढ़े: कृषि कानूनों की वापसी, पांच मांगें भी मंजूर, किसान आंदोलन स्थगित इस दौरान किसानों की फसले पूरी तरह से पक गई थी और इसे खेत से काटना भी शुरू कर दिया था लेकिन इसी बीच बारिश किसानों की दुश्मन बन गई और खेत में कटी पड़ी और उगी हुई फसलों को बर्बाद करके चली गई। ऐसे में किसान बुरी तरह परेशान हो रहे थे लेकिन इसी बीच उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानों का हौसला बनाए रखा और उन्हें मुआवजा देने की बात कही। आइए जानते हैं किन किसनों को मिलेगा ये मुआवजा? मुआवजा

इन जिलों में हुआ भारी नुकसान

रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में करीब 37,848 किसानों की फसलें बर्बाद हुई है। वहीं यदि सबसे कम नुकसान के बारे में बात करें तो श्रावस्ती जिले में सबसे कम फसलों का नुकसान हुआ है। इसी को ध्यान में रखते हुए सीएम का कहना है कि वह किसान को जल्द से जल्द इस मुआवजे की राशि प्रदान करेंगे। रिपोर्ट की मानें तो मुख्यमंत्री ने करीब राज्य के 35 जनपदों के किसानों को मुआवजा देने की बात कही है।

इन जिलों के किसानों को मिलेगा मुआवजा

35 जनपदों में महाराजगंज, गोरखपुर, संत कबीर नगर, कुशीनगर, बलिया, सीतापुर, मिर्जापुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, बहराइच, झांसी, बाराबंकी, वाराणसी, गाजीपुर, खीरी, ललितपुर, जालौन, लखीमपुर ,कौशांबी, चंदौली, बस्ती, बिजनौर, गोंडा, अंबेडकर नगर, बांदा, चित्रकूट, बलरामपुर, पीलीभीत, कानपुर देहात, औरैया, फर्रुखाबाद, भदोही, श्रावस्ती, आगरा और सुल्तानपुर जैसी जनपद का नाम शामिल है।

33% से ज्यादा खराब फसलों को ही मिलेगा मुआवजा

बता दें, यह राशि सिर्फ उन्हीं किसानों को प्राप्त होगी जिनकी फसल 33% से ज्यादा खराब हो चुकी है। इतना ही नहीं बल्कि राज्य सरकार की तरफ से सिर्फ उन्हीं किसानों को यह मुआवजा देने का प्रावधान भी है। इसके अलावा किसानों को यह मुआवजा तब मिलता है जब उनकी फसलें ओलावृष्टि, पाला बाढ़ या फिर शीतलहर के चलते बर्बाद हो गई हो। किसानों को 2 हेक्टेयर तक ही मुआवजा मिलता है। बता दें जिन किसानों की सिंचित भूमि होती है उन्हें 4500 रुपए बल्कि असंचित भूमि पर 9 हजार रुपए दिए जाते हैं।

 बीमा कराई  गई फसलों को पहले मिलेगा मुआवजा

बता दें कि, इस तरह का मुआवजा उन किसानों को प्राप्त होता है जिन्होंने अपनी फसल का बीमा करवाया होता है। दरअसल, इसके लिए जब फसलों का आकलन करने के लिए बीमा कंपनी अधिकारी आते हैं तब किसान को अपनी फसल का बीमा करवाना होता है। इसके बाद बीमा अधिकारी द्वारा किसान की फसलों का आकलन किया जाता है, इसके बाद मुआवजे की राशि प्रदान की जाती है। हालांकि यह राशि सिर्फ उन्ही किसानों को प्रदान की जाती है जिनकी फसलें 33% से अधिक खराब हो चुकी।

जिन लोगों ने नहीं करवाया होता है फसल का बीमा

बता दें जिन किसानों ने उनकी फसलों का बीमा नहीं करवाया होता है ऐसे किसानों को मुआवजा मिलने में थोड़ी दिक्कत होती है। हालांकि जांच के बाद हर किसी को मुआवजे की राशि मिल जाती है। रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश के रामपुर में उड़द की फसलें भी बुरी तरह से चौपट हो गई है। दरअसल 17, 18 और 19 अक्टूबर को बारिश के दौरान उड़द की फसलों को ज्यादा नुकसान हुआ। क्योंकि बारिश रुक-रुक कर हो रही थी ऐसे में उड़द पर इसका बुरा प्रभाव हुआ। इतना ही नहीं बल्कि उन किसानों को उड़द का अधिक नुकसान हुआ जिनकी फसलें पहले से ही पक गई थी और उन्होंने इस फसल को काटकर अपने खेत में ही छोड़ दी थी। ऐसे में उड़द खेत में ही बुरी तरह सड़ गया और रुक-रुक कर बारिश होने के चलते इसे धूप भी नहीं मिली जिसके चलते उड़द की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। रिपोर्ट की माने तो रामपुर में करीब 15% से अधिक उड़द की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई है। इतना ही नहीं बल्कि इसमें कुछ ऐसे भी किसान शामिल है जिन्होंने अपनी फसल का बीमा नहीं करवाया था। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि इन किसानों की फसल की भरपाई कैसे होगी? हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच के निर्देश दे दिए हैं। बता दें, उत्तर प्रदेश में बेमौसम बारिश हुई, वहीं रामगंगा जैसी नदी में बाढ़ आने के कारण उड़द की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई। ये भी पढ़े: हरियाणा में फसल बीमा 31 जुलाई तक कृषि अधिकारी नरेंद्र पाल के मुताबिक, रामपुर जिले में करीब 35 हेक्टेयर पर उड़द की खेती की जाती है। इसी बीच नरेंद्र पाल ने किसानों से मुलाकात की और उनकी फसलों का आकलन भी किया। जिन किसानों की उड़द की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई उन्हें नरेंद्र पाल ने आश्वासन दिया है कि वह जल्दी ही इसका मुआवजा दिलाने में मदद करेंगे। रिपोर्ट की मानें तो जिन किसानों ने अपनी फसल का बीमा करवाया है उन्हें बीमा कंपनी द्वारा जल्दी ही मुआवजा प्रदान हो जाएगा लेकिन जिन लोगों ने अपनी फसल कम बीमा नहीं करवाया है, इसके लिए पहले तहसीलदार उनकी फसलों का आकलन करेंगे, इसके बाद ही उन्हें किसी प्रकार की मदद मिल पाएगी।

फसल बीमा के नियम में बदलाव

बता दें, जिन फसलों का बीमा हो चुका है उनके लिए नियमों में भी कुछ बदलाव किया गया है। नए नियम के अनुसार यदि किसी किसान की फसल का नुकसान प्राकृतिक आपदा के चलते हुआ हो तो उसे बीमा कंपनी द्वारा मुआवजा प्रदान होगा। यदि किसी किसान का गेहूं काटने से पहले ही आग लग जाती है फिर बारिश हो जाती है जिसके चलते फसल बर्बाद हो जाती है। इस स्थिति में न सिर्फ जिस किसान की फसल बर्बाद हुई है उसे इसका मुआवजा मिलता बल्कि आसपास के किसान भी इस योजना का लाभ उठा लेते हैं। दरअसल जिन लोगों की फसलें बर्बाद नहीं होती है उन किसानों को भी इस योजना में पैसे मिल जाते थे, यही वजह है कि फसल बीमा में नए नियम लागू किए गए हैं। नए नियम के मुताबिक, सिर्फ वही किसान इस योजना का लाभ उठा सकता है जिसका नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं बल्कि जिस किसान का नुकसान हुआ है उसे अपने कुछ जरूरी जमीन से जुड़े कागजात भी दिखाने होते हैं। इसके बाद उसे बैंक से भी संपर्क करना होता है तभी कहीं जाकर उसे यह राशि प्राप्त होती है। ये भी पढ़े: फसल बीमा योजना का लाभ लें किसान आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, जिन किसानों के पास क्रेडिट कार्ड है उन्हें फसल बीमा योजना की आवश्यकता नहीं होती। इसके लिए सिर्फ जिस किसान की फसल बर्बाद हुई है उसे टोल फ्री नंबर 18001030061 पर अपनी फसल की सूचना देनी होती है। इसके अलावा किसान को कृषि विभाग के अधिकारियों को भी इस बात की जानकारी देनी होती है, जिसके बाद ही वह फसल बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा लागू की गई किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं (Important Agricultural schemes for farmers implemented by Government of India in Hindi)

भारत सरकार द्वारा लागू की गई किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं (Important Agricultural schemes for farmers implemented by Government of India in Hindi)

हम जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश की लगभग 60% से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और इसी से ही उनका जीवन यापन चलता है। 

इसी को देखते हुए भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई गई। जिससे किसानों की लागत कम लगे और किसानों की आय में वृद्धि हो सके। इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को खेती में आने वाली समस्याएं कम होगी।

भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए जरुरी योजनाएं

भारत सरकार द्वारा चलाई गई इन योजनाओं के माध्यम से किसान खेती बहुत ही आसानी और आधुनिक ढंग से कर सकेगा। आइए हम आपको भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए लागू की गई कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी देते हैं।

1. पीएम किसान सम्मान निधि योजना :-

भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए लागू की गई योजनाओं में से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi ) एक महत्वपूर्ण योजना है। 

इस योजना के तहत भारत के किसानों को साल में ₹6000 दिए जाते हैं जो कि ₹2000 की 3 किस्तों में दिए जाते हैं। योजना की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी। 

इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा अभी तक कुल 11 किश्तें जारी हो चुकी है। इस योजना के चलते भारत के किसानों की अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में बहुत मदद मिली है।

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2. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना :-

इस योजना के माध्यम से भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए पेंशन की व्यवस्था की गई है। योजना में सरकार द्वारा उन किसानों के लिए पेंशन की व्यवस्था की गई है जो बुढ़ापे में असहाय हो जाते हैं और दूसरों पर निर्भर रहते हैं। 

ऐसे में जो किसान 60 वर्ष से अधिक की उम्र के हैं उन्हें सरकार न्यूनतम ₹3000 पेंशन देती है। “पीएम किसान मानधन योजना” का लाभ उठाने के लिए किसान को 60 वर्ष की आयु तक प्रतिवर्ष 55 से ₹200 तक जमा करने होते हैं। 

60 वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद किसान को पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। यदि किसी कारणवश किसान की मृत्यु हो जाती है तो किसान की पत्नी को 50% पेंशन दी जाएगी।

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3. पीएम कुसुम योजना :-

आजकल गांव में बिजली की समस्या बहुत ही गंभीर है। ऐसे में किसानों को समय पर बिजली ना मिल पाने के कारण उनकी फसलों को समय पर पानी नहीं मिल पाता जिससे फसलें में खराब हो जाती हैं। 

किसानों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए भारत सरकार द्वारा पीएम कुसुम योजना चलाई गई है। जिसके अंतर्गत किसानों को सोलर पैनल्स खरीदने पर सब्सिडी दी जाती है। जिससे किसान बिजली संबंधी अपनी समस्या को दूर कर सकें।

4. जैविक खेती योजना :-

इस योजना के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया गया है। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान में किसान कई प्रकार के रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। 

जिसकी वजह से किसानों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भारत सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के कई प्रयास किए जा रहे हैं इसके लिए भारत सरकार ने जैविक खेती योजना शुरू की। इस योजना में जो कृषक जैविक खेती करते हैं उसको सरकार द्वारा इनाम दिया जाता है।

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5. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना :-

खेती करना किसानों के लिए आसान नहीं होता। खेती में किसानों को कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। 

इन प्राकृतिक आपदाओं जैसे ओलावृष्टि, बाढ़, तेज आंधी के कारण किसान की फसलें नष्ट हो जाती है जिससे उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। 

इन सब समस्याओं के कारण सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana MINISTRY OF AGRICULTURE & FARMERS WELFARE) लागू की गई है जिसके माध्यम से किसान को फसलों के लिए पीना की सुरक्षा मिलती है।

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सरकार द्वारा योजना लागू करने का उद्देश्य :-

हमारे देश में विभिन्न प्रकार के किसानों रहते हैं। सभी किसानों की आर्थिक स्थिति एक जैसी नहीं है इसके चलते कुछ किसान अमीर और कुछ किसान बहुत अधिक गरीब है। 

इन्हीं समस्याओं के कारण भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजना चलाई गई हैं। जिसके माध्यम से सभी प्रकार के किसान अपने खेतों में अच्छी से अच्छी फसल उगा सकें और उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सके।

PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला?

PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला?

कृषि मंत्री तोमर ने सदन में दी जानकारी : बीमा दावे पर 1.19 करोड़ का भुगतान किया

बीमा कंपनियों को 40 हजार करोड़ की कमाईः मीडिया रिपोर्ट्स

खेती को मुनाफे का धंधा बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें विभन्न प्रोत्साहन योजनाएं संचालित कर रही हैं। कृषि फसल को प्राकृतिक आपदा या अन्य किसी वजह से हुए नुकसान आदि के कारण, किसान को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए फसल बीमा योजना भी, इन्हीं कृषि प्रोत्साहन योजनाओं में से एक योजना है।

पीएमएफबीवाई (PMFBY)

केंद्रीय स्तर पर संचालित, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana – PMFBY) से भी देश के किसानों के आर्थिक नुकसान की भरपाई का प्रबंध करने केंद्र सरकार ने सुविधा प्रदान की है। इस योजना को लागू करने का उद्देश्य किसानों को फायदा पहुंचाना है, हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते पांच सालों के दौरान कंपनियों से ज्यादा भला कृषि बीमा करने वाली कंपनियों का हुआ है। इन मीडिया रिपोर्ट्स को कृषि मंत्री द्वारा प्रस्तुत जानकारी के बाद बल मिला है। न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्ष 2016-17 से 2021-22 के कालखंड में, कृषि बीमा करने वाली विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों को 40,000 करोड़ रुपए की कमाई हुई है।


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इतनी कंपनियां करती हैं बीमा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) के अंतर्गत बीमा सुविधा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने 18 बीमा कंपनियों को काम सौंपा है। इन कंपनियों का काम किसानों को प्राकृतिक आपदा से होने वाले फसल के नुकसान के लिए बीमा राशि के रूप में नियमानुसार जरूरी वित्तीय मदद प्रदान करना है।

केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी

भारत सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि बीमा के बारे में ब्यौरा प्रस्तुत किया है। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक बीमा कंपनियों के पास प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) के अंतर्गत डेढ़ लाख करोड़ (कुल 159,132) रुपए से अधिक की प्रीमियम राशि जमा की गई थी। उन्होंने बताया कि, किसानों द्वारा प्रस्तुत बीमा संबंधी दावे के लिए 119,314 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया गया। आपको बता दें कि, इस योजना से जुड़े किसानों को मामूली प्रीमियम जमा करना पड़ता है।

4190 रुपए प्रति हेक्टेयर

एक समाचार माध्यम ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा राज्यसभा में दिए गए लिखित जवाब पर न्यूज रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) के अंतर्गत खरीफ 2021-22 सीजन तक किसानों द्वारा प्रस्तुत बीमा के दावों के भुगतान के रुप में 4190 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से बीमा राशि का भुगतान किया गया।

साल 2020 में बदले नियम

बीते 6 साल पहले शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) में वर्ष 2020 में बदलाव किया गया था। इस बदलाव के तहत अब किसान अपनी स्वैच्छिक भागीदारी से भी योजना में जुड़ सकते हैं।


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72 घंटे का समय

योजना के पात्र किसान को फसल के नुकसान की सूचना संबंधित पात्र केंद्र अथवा अधिकारी तक पहुंचाने के लिए समय निर्धारित किया गया है। नुकसान प्रभावित किसान को इस योजना के तहत फसल बीमा ऐप, सीएससी केंद्र या निकटतम कृषि अधिकारी के माध्यम से नुकसान के 72 घंटों के अंदर फसल नुकसान की सूचना प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया से किसानों को हुए नुकसान के बारे में फसल बीमा का दावा करने में आसानी हुई है। योजना की खास बात यह भी है कि इसमें दावा राशि का भुगतान सीधे किसानों के खाते में किया जाता है।

इतना प्रीमियम भुगतान

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) में फसल बीमा कराने के इच्छुक किसान को खरीफ फसल की बीमा राशि का दो प्रतिशत अदा करना होता है।
  • रबी फसल के लिए यह राशि और कम है। रबी की फसल के लिए किसान को 1.5 फीसदी बीमा राशि का भुगतान करना होगा।
  • बागवानी एवं वाणिज्यिक फसलों के बीमा के लिए किसान को प्रीमियम बतौर 5 प्रतिशत राशि का भुगतान करना होगा।
पीएमएफबीवाई के राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एनसीआईपी) से कृषि बीमा कार्य को और आसान बनाने की कोशिश सरकार ने की है। फसल बीमा मोबाइल ऐप नामांकन प्रक्रिया को आसान बनाता है। एनसीआईपी इसके अलावा प्रीमियम प्रेषण, भूमि रिकॉर्ड के एकीकरण आदि में भी किसान के लिए मददगार है।
फसल बीमा योजना में कम रुचि ले रहे हैं यूपी के किसान

फसल बीमा योजना में कम रुचि ले रहे हैं यूपी के किसान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के किसान फसल बीमा योजना में कम ही रूचि ले रहे हैं। कम्पनियां फसल नुकसान के आंकलन से किसानों को क्षतिपूर्ति देने में मनमानी करती हैं। अभी तक रबी की फसल की क्षतिपूर्ति के 4.87 करोड़ रुपए किसानों को नहीं दिए गए हैं। यही कारण है कि प्रदेश के किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर भरोसा लगातार कम होता जा रहा है। भले ही कृषि विभाग किसानों को फसल बीमा योजना के लिए प्रेरित कर रहा है। लेकिन फसल बीमा योजना से किसानों का मोहभंग हो चुका है। राज्य सरकार का मानना है कि इस बार मौसम की विपरीत परिस्थितियों के चलते, किसानों को फसल बीमा योजना में पंजीकरण कराना चाहिए। खरीफ की फसल के लिए बीमा योजना की अंतिम तिथि 31 जुलाई रखी गई है, जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग बीमा बढ़ाने के लिए लगातार अपील कर रही है।

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इन परिस्थितियों में किसानों को मिलता है फसल बीमा योजना का लाभ

- किसान की फसल की बुवाई 75 फीसदी से कम रह जाती है। तो किसानों को बीमा का 75 प्रतिशत भुगतान करके बीमा कवर को समाप्त कर दिया जाता है। वहीं अगर फसल समय निकलने के बाद खराब होती है तो भी बीमा का का क्लेम नहीं मिलता है। अगर बुवाई और कटाई के 15 दिन के अंदर फसल पर देवीय आपदा आ जाए, तो नियमानुसार फसल की उपज का 25 प्रतिशत लाभ तत्काल दिया जाएगा। और 15 दिनों में सर्वेक्षण पूरा किया जाएगा। और अतिरिक्त क्षतिपूर्ति का समायोजन खाते में किया जाएगा।

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72 घंटों के अंदर नुकसान की सूचना दर्ज कराएं।

- फसल बीमा कराने वाले किसान अपनी फसल में नुकसान होने के 72 घंटों के अंदर अपनी सूचना दर्ज कराएं। इसकी सूचना टोल फ्री नम्बर या लिखित रूप से कृषि विभाग, बीमा अधिकारियों अथवा राज्य सरकार को दर्ज कराएं।

जलभराव वाली धान की फसल बीमा कवर से हटाई

- धान की फसल जलभराव वाली खेती है। सरकार ने धान की फसल को बीमा कवर योजना से बाहर कर दिया है। क्योंकि धान की फसल में जलभराव के चलते नुकसान की आशंका ज्यादा रहती है।
सब कुछ जानिये किसान हितैषी एफजीआर पोर्टल (FGR Portal) के बीटा वर्जन के बारे में

सब कुछ जानिये किसान हितैषी एफजीआर पोर्टल (FGR Portal) के बीटा वर्जन के बारे में

केंद्र ने छत्तीसगढ़ में बतौर पायलट प्रोजेक्ट किया है लॉन्च

केंद्र सरकार ने राज्य की किसान हितैषी नीतियों को देखते हुए छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय (The Union Ministry of Agriculture) ने 21 जुलाई को छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अपने किसान शिकायत निवारण (FGR) पोर्टल के बीटा वर्जन को लॉन्च किया है। यह एफजीआर पोर्टल (FGR Portal) क्या है, इससे किसानों को क्या मदद मिलेगी, पायलट प्रोजेक्ट क्या है, इससे जुड़ी खास बातें जानिये।

एफजीआर (FGR) -

फार्मर ग्रीवेंस रिड्रेसल (Farmer Grievance Redressal (FGR)) यानी किसान शिकायत निवारण (kisaan shikaayat nivaaran) पोर्टल का बीटा वर्जन केंद्र सरकार की पहल है। छत्तीसगढ़ जनसंपर्क के अनुसार, छत्तीसगढ़ का चयन राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों और कार्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।



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केंद्रीय मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ कृषि उत्पादन आयुक्त को इस कार्यक्रम में किसान प्रतिनिधियों, किसानों और पंचायत अधिकारियों के साथ कृषि विभाग के अधिकारियों की ऑनलाइन भागीदारी सुनिश्चित करने निर्देशित किया था।

ऑनलाइन पोर्टल सर्विस -

केंद्र सरकार के इस पायलट प्रोजेक्ट का मकसद छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों से जुड़ी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करने का है। केंद्र की नई योजना के तहत गुरुवार को छत्तीसगढ़ में किसानों की समस्याएं निपटाने ऑनलाइन पोर्टल की वर्चुअल लॉन्चिंग हुई। https://twitter.com/pmfby/status/1549984032548864000

एफजीआर इसलिए तैयार -

किसानों की खेती-किसानी संबंधी समस्याओं के निदान के लिए एफजीआर (FGR) तैयार किया गया है। खास तौर पर फसल बीमा से संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिए एफजीआर को बनाया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा फिलहाल इस सुविधा को छत्तीसगढ़ में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है। सकारात्मक परिणाम को देखते हुए बाद में इसे संपूर्ण देश में शुरू करने की योजना है।



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केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के एपीसी डॉ. कमलप्रीत सिंह से एफजीआर (FGR) पोर्टल के बारे में संपर्क साधे रखा।

पीएम फसल बीमा सफल क्रियान्वन -

गौरलतब है केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ का चयन प्रधानमंत्री फसल बीमा के क्रियान्वयन में बढ़िया प्रदर्शन के लिए किया है। प्रदेश ने पीएम फसल बीमा योजना में बेहतर परफॉरमेंस दिखाई है। बीमा दावा राशि के भुगतान में देश का अग्रणी राज्य होने की वजह से छग को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है।

बीटा वर्जन -

कृषि मंत्रालय ने राज्य में किसानों के पंजीयन, समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, राजीव गांधी न्याय योजना, मुख्यमंत्री पौधरोपण प्रोत्साहन योजना संबंधी एकीकृत किसान पोर्टल के परिणामों को देखते हुए एफजीआर (FGR) के बीटा वर्जन की शुरूआत छत्तीसगढ़ में की है।

एफजीआर (FGR) पोर्टल कैसे करेगा काम -

वर्चुअली तरीके से 21 जुलाई शुरू एफजीआर के बीटा वर्जन के माध्यम से किसान अपनी खेती-किसानी संबंधी समस्याओं का समाधान कर सकेेंगे। विशेषकर फसल बीमा से संबंधित समस्याओं का निदान इससे हो सकेगा। किसानों द्वारा टेलीफोन अथवा मोबाइल के माध्यम से बताई गई समस्या एवं शिकायत इस पोर्टल में ऑनलाइन दर्ज की जाएगी। समस्याओं के निदान एवं मौजूदा स्थिति के बारे में किसानों को ऑनलाइन सूचित किया जाएगा।

किसान कॉल कर अपनी शिकायत टोल-फ्री नम्बर 14447 पर कराएं दर्ज :

किसान शिकायत निवारण (एफजीआर) पोर्टल में फसल बीमा से संबंधित शिकायत दर्ज कराने हेतु, किसान भाई टोल-फ्री नंबर 14447 पर कॉल करें। कॉल के पश्चात्, किसान की शिकायत कॉल सेन्टर द्वारा दर्ज की जाएगी व साथ ही साथ संबंधित बीमा कंपनी को शिकायत का विवरण प्रेषित कर, निर्धारित समय-सीमा में निराकरण करने हेतु निर्देशित किया जायेगा। किसान शिकायत निवारण पोर्टल के संचालित होने से, किसानों को अब फसल बीमा संबंधी शिकायतों के लिए कार्यालयों और अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेगें और लिखित आवेदन की भी आवश्यकता नहीं रहेगी। किसान के मोबाईल नंबर पर शिकायत दर्ज कराने का संदेश व शिकायत क्रमांक आयेगा, जिसके माध्यम से शिकायत पोर्टल पर शिकायत की वास्तविक स्थिति का पता ऑनलाईन लगाया जा सकता है।
खुशखबरी: २०० करोड़ के निवेश से इस राज्य में बनने जा रहा है अनुसंधान केंद्र

खुशखबरी: २०० करोड़ के निवेश से इस राज्य में बनने जा रहा है अनुसंधान केंद्र

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आयुष मंत्रालय बदरवाह में अनुसंधान केंद्र निर्माण हेतु २०० करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। यह जम्मू-कश्मीर के कृषकों के लिए हर्ष की बात है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया है, कि जम्मू-कश्मीर में कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्टअप का केंद्र बनने के असीमित अवसर हैं। इसी संबंध में उनका यह भी कहना है, कि जम्मू में उत्पादित होने वाले बांसों का प्रयोग अगरबत्ती समेत विभिन्न प्रकार के आवश्यक उत्पादों के निर्माण हेतु हो सकता है। इस वजह से बांस की खेती के क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी तो होगी ही साथ में किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्ट्रॉबेरी व सेब एवं ऐसे अन्य फलों की जीवनावधि को कोल्ड-चेन की उत्तम व्यवस्था के जरिये बढ़ाया जाना संभव है।

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उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर में गैर-इमारती वन उत्पाद (NTFP) में आने वाले पौधे जिनमें मशरूम, गुच्ची एवं अन्य औषधीय पौधे काफी संख्या में मिल जाते हैं। चिनाब घाटी अथवा पीर पंजाल क्षेत्र (राजौरी, पुंछ) उच्च गुणवत्ता वाले शहद एवं एनटीएफपी का केंद्र है। दरअसल, इनकी उचित तरीके से विपणन नहीं हो पाती है। केंद्रीय मंत्री ने बताया है, कि प्रदेश के जम्मू-कश्मीर औषधीय पादप बोर्ड एवं वन विभाग को साम्मिलित किया, क्योंकि एक सहायक पद्धति के जरिये से उत्पादन, बिक्री और विपणन की आवश्यकता है। 

कृषि संबंधित औघोगिक क्रांति से बेहद मुनाफा हो सकता है

उपरोक्त में जैसा बताया गया है, कि डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आयुष मंत्रालय बदरवाह में अनुसंधान केंद्र निर्माण हेतु २०० करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं।. इसी दौरान मंत्री का कहना है, कि कृषि, बागवानी एवं ग्रामीण विकास की भाँति अनेकों प्रगतिशील क्षेत्रों में कार्यरत सरकारी संगठनों हेतु निरंतर सहायता की आवश्यकता है। साथ ही उनका कहना है, कि शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय (SKUAST) कश्मीर, को उद्यमिता विकास संस्थान (EDI) के साथ मिलकर भेड़पालन व पशुपालन विभागों को सहायता प्रदान करनी चाहिए। 

किसानों को (एफपीओ) व सहकारी समितियों के जरिये संस्थागत होना चाहिए

बतादें कि, मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है, कि किसानों को सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से संस्थागत होना महत्वपूर्ण है। कृषि एवं बागवानी क्षेत्रों में स्थानीय मांगो पर ध्यान केंद्रित हो, एवं ऐैसे नौजवानों को तैयार करना होगा जिनकी इस क्षेत्र में कार्य करने की रूचि हो। साथ ही, एनजीओ किसानों को फसल बीमा अर्जन हेतु संवेदनशील बनाना अति आवश्यक है, क्योंकि इसकी जम्मू और कश्मीर में बेहद जरूरत है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, इस प्रकार के सरकारी संगठनों द्वारा समर्थन हेतु कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में कार्यशील प्रमुख गैर सरकारी संगठनों व अनुसंधान संस्थानों का सम्मिलित होना अति आवश्यक है। बाजार में अच्छी पकड़ हेतु, अधिकारियों द्वारा कोई ऐसी नीति जारी होनी जरूरी है, जो स्थानीय कृषि और बागवानी उत्पादों जैसे अखरोट, सेब व राजमा आदि के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की जिम्मेदारी उठा सके।

किसानों की संकट की घड़ी में सरकारें क्यों फासला बना रही हैं

किसानों की संकट की घड़ी में सरकारें क्यों फासला बना रही हैं

बतादें कि मौसमिक बदहाली के कारण किसानों की फसल चौपट हो गयी हैं, इस वजह से उनको फिलहाल सर्वाधिक फसल बीमा की आवश्यकता है। लेकिन सरकारों द्वारा ऐसी योजनाओं को समाप्त किया जा रहा है। निरंतर दो सीजन फसलों पर मोसमिक प्रभाव पड़ने की वजह से पैदावार में कमी आयी है। बीते खरीफ सीजन में बदहाल मौसम ने फसल को चौपट किया है और पिछले साल गेंहू की पैदावार में भी कमी आयी थी। ऐसे मोके पर सरकारों का दायित्व बनता है कि वह किसानों की इस संकट की घड़ी में भरपूर सहयोग करें। लेकिन सरकारें किसानों के हित में जारी की गयी बीमा योजनाओं को नकारते हुए उनके प्रति विपरीत भूमिका निभा रही हैं। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=7Sqo7C2ljF4&t=1s[/embed]

कितने राज्य इससे जुड़े हैं ?

२०१६ में जारी के उपरांत २०१८ के खरीफ सीजन में प्रधानमंत्री किसान फसल बीमा योजना यानी पीएमएफबीवाई(PMFBY) के साथ २२ राज्य जुड़ गए थे। लेकिन बीते खरीफ सीजन में योजना के साथ जुड़े रहने वाले राज्य की संख्या घटकर १९ पर आ चुकी है। रबी सीजन के दौरान उसमें अब तक केवल १४ राज्य ही इस योजना के साथ जुड़े हैं। लघु , सीमांत व ऐसे किसानों के मध्य यह योजना काफी पसंद की जा रही थी, जिन्हें कर्ज मुहैय्या करने में बैंक बहुत परेशान करते हैं। इस योजना के २०१६ में लागू होने के उपरांत इस योजना के साथ जुड़ने वाले ऐसे किसानों का आंकड़ा २८२ प्रतिशत बढ़ा था। लेकिन जैसे-जैसे राज्य सरकारें इस बीमा योजना से बचना चालू कर रही हैं, इसकी वजह से योजना के साथ जुड़े हुए कृषकों की तादात में भी गिरावट आयी है। २०१८ के खरीफ सीजन में प्रधानमंत्री किसान फसल बीमा योजना के साथ भारत के २.१६ करोड़ किसान सम्मिलित हुए थे। लेकिन बीते खरीफ सीजन के दौरान किसानों की संख्या घटकर १.५३ करोड़ हो चुकी थी।


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जानें भारत विश्व में फसल बीमा क्लेम दर के मामले में कौन-से स्थान पर है

जानें भारत विश्व में फसल बीमा क्लेम दर के मामले में कौन-से स्थान पर है

भारत अमेरिका एवं चीन, विश्व के फसल बीमा प्रीमियम का 70% फीसद भुगतान करते हैं। दरअसल, अमेरिका व कनाडा में बीमा कंपनियों के संचालन एवं उनके समुचित प्रबंधन का खर्च अथवा भुगतान सरकार द्वारा वहन किया जाता है। इटली एवं कनाड़ा के उपरांत भारत में फसल बीमा क्लेम की तादात सर्वाधिक होती है। कृषि बीमा के प्रमुख एवं अंतर्राष्ट्रीय रीइंश्योरेंस एंड इंश्योरेंस कंसल्टेंसी एवं ब्रोकिंग सर्विसेज के वरिष्ठ सलाहकार कोल्ली एन राव द्वारा किए गए एक अध्ययन में विशेष बात सामने आयी है। अध्ययन में पता चला है, कि बीते सात साल के दौरान भारत में औसत फसल बीमा क्लेम दर 83% प्रतिशत था। जबकि इटली में 98% एवं कनाडा में यह 99% था। विशेष बात यह है, कि चीन और तुर्की के में फसल बीमा क्लेम दर सर्वाधिक कम था।
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अध्ययन के अनुसार, तुर्की एवं चीन में फसल बीमा क्लेम दर क्रमश: 55% एवं 59% था। यदि भारत की बात की जाये तो साल 2016 में, जब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना द्वारा वर्तमान क्लेम सब्सिडी-आधारित मॉडल को परिवर्तित कर दिया, तो भारत में फसल बीमा बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हो गया। बीते सात सालों में, बीमा कंपनियों ने प्रीमियम में 1,54,265 करोड़ रुपये लिए एवं क्लेम के रूप में 1,28,418 रुपये करोड़ का भुगतान हो कर दिया। इसकी वजह से उनको 83% प्रतिशत का क्लेम अनुपात प्राप्त हुआ है।

जानें क्लेम दर कितने प्रतिशत से ज्यादा थी

2016 एवं 2018 के मध्य, तमिलनाडु में प्रचंड सूखा की स्थिति बनी थी। जिसके चलते 8,397 करोड़ रुपये का क्लेम किया गया, जो कि 4,085 करोड़ रुपये के सकल प्रीमियम के 200% फीसद से ज्यादा था। इसी प्रकार, महाराष्ट्र में कृषकों को अत्यंत बारिश की वजह से 2019 में करीब 4,500 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता मिली, तब उनकी फसल पककर कटाई लायक हो चुकी थी। उन्होंने बताया कि कर्नाटक, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, तेलंगाना एवं ओड़िशा समेत बहुत सारे राज्यों के क्षेत्र में बदहाल मौसम की वजह से एक या अधिक वर्षों में क्लेम दर 100% फीसद से ज्यादा थी।

18 बीमा कंपनियों में से कितनी कंपनियों ने ऐसा करना किया बंद

अत्यंत आवश्यक समय के चलते, राव ने बताया है, कि पीएमएफबीवाई(PMFBY) सरकार हर एक मुख्य जनपदों में 50 से 100 लोगों को भेजती है। तकरीबन 2,500 करोड़ रुपये का प्रीमियम दर्ज करने वाली कंपनी के लिए, PMFBY हेतु लाभ-अलाभ बिंदु करीब 90% फीसद क्लेम का अनुपात है। उनका यह भी कहना है, कि 2020 से व्यापार काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है, इसलिए फसल बीमा विक्रय करने वाली 18 बीमा कंपनियों में से आठ ने ऐसा करना बिल्कुल समाप्त कर दिया है।
‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान जारी, किसानों को होगा फायदा

‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान जारी, किसानों को होगा फायदा

किसानों के हित में सरकारें एक से एक योजनाएं ला रही है. इसी की तर्ज में छत्तीसगढ़ के जशपुरनगर में एक खास अभियान की शुरुआत की गयी है. इस अभियान का नाम मेरी पॉलिसी मेरे हाथ है. बता दें आजादी के अमृत महोत्सव भारत 75 के तहत मेरी पॉलिसी मेरे हाथ नाम का अभियान शुरू हो चुका है. यह अभियान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ मौसम साल 2022 की तरह ही 15 फरवरी से इस अभियान को शुरू किया गया है. वहीं कृषि विभाग के अनुसार ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ के अंतर्गत रबी सीजन 2022 से 2023 में ग्राम पंचायत स्तर पर जान प्रतिनिधियों की मौजूदगी में किसानों को क्रियान्वयक बीमा कंपनी इस फसल बीमा पॉलिसी को बांटेगी. ये भी देखें: PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला?

योजना से जुड़ने की अपील

इसके लिए कृषि विभाग द्वारा विरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और समिति प्रबंधक आदिम जाति सेवा समितियों को निर्देशित किया गया है. साथ ही इस कार्य्रकम को सफल बनाने के लिए मौसम रबी 2022 से 2023 में जिन किसानों को बिमा हुआ है, उन्हें बीमा पत्रक बांटने के लिए योयोजना से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स क्रियान्वयक बीमा कंपनी से समन्वय करना होगा, इसके अलावा मेरी पॉलिसी मेरे हाथ अभियान को ग्राम पंचायत स्तर से सफल संचालन और प्रक्रिया के हिसाब से उचित कार्यवाही के निर्देश भी दिए गये हैं.
महाराष्ट्र सरकार की इस योजना से किसानों को 1 रुपये ब्याज पर मिलेगा फसल बीमा

महाराष्ट्र सरकार की इस योजना से किसानों को 1 रुपये ब्याज पर मिलेगा फसल बीमा

जलवायु बदलाव के दुष्परिणामों की वजह से फसल को बेहद हानि का सामना करना पड़ रहा था। परंतु, फिलहाल नव वर्ष के बजट से इस चिंता का भी समाधान कर दूर कर दिया गया है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा 1 रुपये ब्याज पर फसल बीमा देने की घोषणा की गई है। आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम झेल रहा है। इसका सर्वाधिक दुष्प्रभाव खेती किसानी पर देखने को मिल रहा है। आकस्मिक बारिश, ओले, बाढ़, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के चलते फसलें क्षतिग्रस्त होती जा रही हैं। जो कि ऐसी स्थिति है जब स्वयं किसान भी आर्थिक समस्याओं में फंस जाते हैं। देश में भी जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव साफ तौर पर देखने को मिल रहे हैं। बीते वर्ष विभिन्न राज्यों में मौस्मिक मार से काफी फसल हानि देखी गई है। महाराष्ट्र में भी कुछ इसी तरह की परिस्थितियां देखने को मिलीं हैं। किसानों को बड़ी हानि से बचाने हेतु महाराष्ट्र सरकार द्वारा आर्थिक मदद देने की घोषणा की गई थी। परंतु, हाल ही में इस परेशानी का स्थायी समाधान निकालते हुए प्रदेश सरकार द्वारा 1 रुपये में फसल बीमा करवाने का ऐलान किया है।

मात्र 1 रुपये ब्याज पर मिल पाएगा फसल का बीमा

देश में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से हुई फसल बर्बादी की भरपाई करने हेतु
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जारी की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत किसान स्वयं की फसल के संरक्षण हेतु एक निश्चित बीमा प्रीमियम प्रदान करता है। बदले में हानि होने की स्थिति में बीमा कंपनियों के साथ-साथ केंद्र एवं राज्य सरकारें किसानों की आंशिक भरपाई करती हैं। परंतु, फिलहाल महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य स्तर पर 1 रुपये के ब्याज पर बीमा योजना का ऐलान कर दिया है। इसका सर्वाधिक लाभ उन किसानों को प्राप्त होगा, जो छोटी भूमि पर कृषि करते हैं अथवा बड़ा बीमा प्रीमियम भरने में असमर्थ होते हैं।

राज्य सरकार के द्वारा फसल हानि की भरपाई की जाएगी

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत रबी फसलों हेतु 1.5 फीसद, खरीफ फसलों हेतु 2 फीसद एवं बागवानी फसलों का बीमा करवाने हेतु 5 फीसद बीमा प्रीमियम जमा करना होता है। परंतु, महाराष्ट्र सरकार द्वारा फिलहाल यह चिंता भी समाप्त कर दी गई है। यह भी पढ़ें: PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला? प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है, कि पूर्व में फसल बीमा योजना का लाभ लेने वाले किसान भाइयों से बीमा की धनराशि का 2 फीसद ब्याज लिया जाता था। फिलहाल, सरकार 1 रुपये में फसल बीमा मुहैय्या करवाने की तैयारी में जुट रही है। इस योजना के अंतर्गत सरकारी खजाने से 3312 करोड़ रुपये का खर्चा किया जाएगा।

महाराष्ट्र राज्य में भी प्राकृतिक कृषि के क्षेत्रफल में होगी वृद्धि

कृषि क्षेत्र में रसायनों के बढ़ते उपयोग से ना केवल मृदा की उपजाऊ क्षमता कमजोर होती जा रही है। साथ ही, रसायन से उत्पादित कृषि उत्पादों से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इसी वजह से फिलहाल अधिकांश राज्य सरकारें प्राकृतिक खेती का मॉडल अपना रही हैं। नव वर्ष के बजट में महाराष्ट्र सरकार द्वारा भी आगामी 3 वर्ष में 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाने का निर्णय किया है। इसी योजना के अंतर्गत प्रदेश में 1000 बायो-इनपुट संसाधन केंद्र की स्थापना का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इस राज्य में 810 करोड़ की धनराशि से लाखों किसानों को मिलेगा फसल बीमा का फायदा

इस राज्य में 810 करोड़ की धनराशि से लाखों किसानों को मिलेगा फसल बीमा का फायदा

आपकी जानकारी के लिए बतादें कि बिहार सरकार की तरफ से निरंतर कृषकों के फायदे में कदम उठा रही है। हाल ही में राज्य के किसानों को 810 करोड़ रुपये फसल बीमा हेतु जारी किए जाएंगे। इससे कृषकों को आर्थिक तौर पर सहायता मिलेगी। केंद्र और राज्य सरकार किसानों को सहूलियत देने का कार्य कर रही हैं। जानकारी के लिए बतादें, कि बारिश, ओलावृष्टि, सूखा और बाढ़ में फसल तबाह होेने पर किसानों को मुआवजा प्रदान किया जाता है। किसान भाइयों को अनुदान पर बीज मुहैय्या करवाए जाते हैं। साथ ही, बहुत सारी मशीनों पर भी भारी छूट प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त भी कृषकों को यंत्रों की खरीद करने पर भी भारी राहत मुहैय्या कराई जाती है। हाल ही में बिहार सरकार की तरफ से किसानों के हित में कदम उठाए गए हैं। किसानों को हुए फसलीय नुकसान के बदले में किसानों को राहत देनी चालू कर दी गई है। राज्य सरकार के सहयोग से बीमा कंपनियां कृषकों को फसल बीमा प्रदान कर रही हैं।

कितने लाख कृषकों को जारी किए जाएंगे 810 करोड़ रुपये

कृषि मंत्री की ओर से सूखा प्रभावित क्षेत्र के कृषकों के लिए बड़ी सहूलियत प्रदान की गई है। झारखंड में 683922 किसानों को फसल बीमा योजना का फायदा प्रदान किया जाएगा। जिसके लिए पूरा खाका राज्य सरकार की तरफ से खींच लिया गया है। लगभग 810 करोड़ रुपये की बीमित धनराशि कृषकों को मुहैय्या कराई जाएगी। साल 2018-19 में किसानों द्वारा खरीफ एवं रबी सीजन की फसलों हेतु बीमा करवाया था। किसानों को बेहद फसलीय हानि हुई थी। अब इन कृषकों के भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जानी है। यह भी पढ़ें : जानें भारत विश्व में फसल बीमा क्लेम दर के मामले में कौन-से स्थान पर है

राज्य सरकार द्वारा 362 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है

किसानों को बकाया भुगतान करने के मामले में राज्य सरकार काफी सजग है। वर्तमान में राज्य सरकार के अधिकारियों एवं बीमा कंपनी के अधिकारियों के मध्य किसानों को बीमा भुगतान करने के लिए बैठक हुई थी। राज्य सरकार की तरफ से कंपनियों को 362.5 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। इसके उपरांत से ही कंपनियों द्वारा कृषकों को भुगतान करने की कवायद जारी कर दी है।

किसानों को समय से ही धनराशि प्रदान की जा रही है

राज्य सरकार द्वारा कृषकों का समयानुसार भुगतान किया जा रहा है। मीडिया खबरों के मुताबिक, राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का कहना है, कि अब तक सरकार की तरफ से बीमा कंपनियों को करोड़ों रुपये का भुगतान हो जाता था। लेकिन किसान भाईयों को धनराशि प्राप्त नहीं हो पाती थी। इसमें बहुत सारी तकनीकी समस्याएं देखने को मिलीं। अब राज्य सरकार की तरफ से राज्यांश की धनराशि प्रदान करनी समाप्त कर दी है। साथ ही, बीमा कंपनियों के समक्ष यह शर्त रखी गई है, कि जब तक बीमा कंपनियां यह लिखित में नहीं देंगी कि किसानों को बीमा भुगतान किया जाएगा, तबतक राज्यांश नहीं दिया जाएगा।
इस राज्य सरकार ने किया ऐलान, बेमौसम बारिश की मार से बचेंगे किसान

इस राज्य सरकार ने किया ऐलान, बेमौसम बारिश की मार से बचेंगे किसान

सरकार की तरफ से गीले चावल को इकठ्ठा करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री के मुताबिक, एक भी दाना भी खराब किए बिना शीघ्र अतिशीघ्र धान का संग्रह पूर्ण कर लेंगे। निरंतर बेमौसम बारिश के चलते किसानों को भारी हानि हो रही है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकारें किसानों को राहत पहुँचाने की घोषणा कर रही हैं। इसी कड़ी में तेलंगाना का भी नाम भी शामिल हो गया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का कहना है, कि किसानों को इस बात की फिकर करने की कोई आवश्यकता नहीं है।​ फसल बर्बाद होने पर उनकी क्षति का क्या होगा? मुख्यमंत्री का कहना है, कि इस बारे में सरकार द्वारा पहले ही तैयारी कर ली है। किसानों को जितना धन सामान्य धान के लिए प्रदान किया जाता है। समान धन उस धान के लिए भी दिया जाएगा, जो प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हुई है।

मुख्यमंत्री ने कृषि से संबंधित समीक्षा बैठक की है

साथ ही, इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री द्वारा कृषि विभाग को इस बात का भी अध्ययन करने के लिए बोला गया है, कि ऐसी कौन-सी नीति बनाई जाए, जिससे बेमौसम बारिश के मध्य यासंगी धान की कटाई मार्च से पूर्व ही की जा सके। साथ ही, केसीआर का किसानों को मशवरा है, कि बेमौसम बारिश के चलते तीन-चार दिन कटाई ना की जाए। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मुख्यमंत्री ने कृषि से जुड़ी समीक्षा बैठक भी की थी। ये भी पढ़े: बेमौसम बरसात से हुए नुकसान का किसानों को मिलेगा मुआवजा, सरकार ने जारी किए करोड़ों रुपये

अनाज की बर्बादी नहीं होने देंगे

राज्य सरकार की ओर से ओलावृष्टि से बर्बाद होने वाली फसल के मुआवजे के रुप में किसानों को 10 हजार प्रति एकड़ प्रदान किया जा रहा है। इस बार सरकार की ओर से गीले चावल को एकत्रित करने का निर्णय किया है। मुख्यमंत्री के मुताबिक, एक दाना भी खराब किए बिना शीघ्र अतिशीघ्र धान का संग्रह पूर्ण कर लिया जाएगा। नागरिक आपूर्ति विभाग के कमिश्नर अनिल कुमार ने सीएम केसीआर को जानकारी दी कि बेमौसम वर्षा के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। परंतु, अनाज एकत्रित होना शीघ्र पूर्ण हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग और किसानों को बदलते मौसम से सबक लेने को कहा ​है। साथ ही, जागरुकता फैलाने की भी बात कही है। उन्होंने किसानों को चावल की जल्दी रोपाई करने को कहा, जिससे धान की कटाई मार्च के माह तक संपन्न हो पाए।

सीएम ने अधिकारियों को किसानों के लिए समयानुसार अलर्ट जारी करने को कहा है

मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग को और वैज्ञानिक तौर पर अध्ययन करने को कहा है। साथ ही, किसानों में जागरुकता फैलाने के लिए भी बोला है। प्राकृतिक आपदा को लेकर पूर्णतय सतर्क रहने एवं किसानों को समयानुसार जानकारी देने के साथ उनमें जागरुकता उत्पन्न करने का भी निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है, कि अधिकारी वक्त-वक्त पर किसानों के लिए अलर्ट जारी करते रहें। मुख्यमंत्री का कहना है, कि कृषि विभाग को लोअर लेवल से हाई लेवल तक के अधिकारियों व कर्मचारियों समेत और ज्यादा गतिशील रूप से कार्य करने के साथ-साथ राज्य सरकार की कृषि नीतियों एवं उद्देश्यों को बेहतरीन ढ़ंग से समझने की जरूरत है।